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वार्षिक कार्यक्रम 2009-2010
प्राक्कथन

राजभाषा संकल्प, 1968 के अनुपालन में राजभाषा हिंदी के प्रसार और विकास की गति बढाने के लिए तथा संघ के विभिन्न राजकीय प्रयोजनों में इसके प्रगामी प्रयोग को बढावा देने के लिए राजभाषा विभाग प्रतिवर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम जारी करता है । वर्ष 2009-10 का वार्षिक कार्यक्रम इसी क्रम में जारी किया जा रहा है ।

     सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रगामी प्रयोग के क्षेत्र में प्रगति हुई है, किंतु अब भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किए जा सके हैं ।  सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग बढा है किंतु अभी भी बहुत सा काम अंग्रेजी में हो रहा है । लक्ष्य यह है कि सरकारी कामकाज में मूल टिप्पण और प्रारूपण के लिए हिंदी का ही प्रयोग हो । यही संविधान की मूल भावना के अनुरूप होगा । कहने की आवश्यकता नहीं कि जनता की भाषा में सरकारी कामकाज करने से विकास की गति तेज होगी और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी ।

वार्षिक कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित बिंदु विशेष रूप से विचारणीय हैं :-

·  यह जरूरी है कि संसदीय राजभाषा समिति की रिपोर्ट के सात खंडों पर जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेशों का मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों द्वारा अनुपालन किया जाए ।

·  कंप्यूटर, ई-मेल, वेबसाइट सहित उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं का अधिक से अधिक उपयोग करते हुए हिंदी में काम को बढाया जाए ।

·  संबंधित विभाग वैज्ञानिक व तकनीकी साहित्य हिंदी में छपवाकर उसे जनसाधारण के उपयोग हेतु उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक उपाय करें ।

·  हिंदी, हिंदी टंकणआशुलिपि संबंधी प्रशिक्षण कार्य में तीव्रता लाएं ताकि तत्संबंधी लक्ष्यों को निर्धारित समय-सीमा में प्राप्त किया जा सके ।

·  राजभाषा कार्य से संबंधित अधिकारियों को विभाग के समस्त कार्यकलापों से परिचित कराया जाना आवश्यक है, जिससे कि वे अपने दायित्व अधिक अच्छी तरह निभा पाएं ।

·  मंत्रालय/विभाग अपने विषयों से संबंधित संगोष्ठियां हिंदी माध्यम में आयोजित करें ।

·  संघ की राजभाषा नीति का आधार प्रेरणा और प्रोत्साहन है, किंतु राजभाषा संबंधी अनुदेशों का अनुपालन दृढतापूर्वक किया जाना चाहिए । जानबूझकर राजभाषा संबंधी आदेशों की अवहेलना के लिए मंत्रालय/विभाग अनुशासनात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर सकते हैं ।

सचिव, भारत सरकार,
राजभाषा विभाग,

मार्च,

2009
गृह मंत्रालय
राजभाषा नीति संबंधी प्रमुख निदेश

1.   राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 (3) के अंतर्गत संकल्प, सामान्य आदेश, नियम, अधिसूचनाएं, प्रशासनिक तथा अन्य रिपोर्टें, प्रेस विज्ञप्तियां, संसद के किसी सदन या दोनों सदनों के समक्ष रखी जाने वाली प्रशासनिक तथा अन्य रिपोर्टें, सरकारी कागजात, संविदाएं, करार,अनुज्ञप्तियां, अनुज्ञापत्र, टेंडर नोटिस तथा टेंडर फार्म आदि द्विभाषी रूप में ही जारी की जाएं । किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

2.   अधीनस्थ सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं में अंग्रेजी के अनिवार्य प्रश्नपत्र को छोड़कर शेष विषयों के प्रश्नपत्रों के उत्तर हिंदी में भी देने की छूट दी जाए और ऐसे प्रश्नपत्र अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध कराए जाएं । साक्षात्कार में भी वार्तालाप में हिंदी माध्यम की उपलब्धता अनिवार्य रूप से रहनी चाहिए ।

    केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों तथा उनसे संबद््ध और अधीनस्थ कार्यालयों तथा केंद्र सरकार के स्वामित्व में या      नियंत्रणाधीन निगमों, उपक्रमों, बैंकों आदि में सभी सेवाकालीन विभागीय तथा पदोन्नति परीक्षाओं में (अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाओं सहित) अभ्यर्थियों को प्रश्न-पत्रों के उत्तर हिंदी में भी देने की छूट दी जाए । प्रश्न-पत्र अनिवार्यत: दोनों भाषाओं (हिंदी और अंग्रेजी) में तैयार कराए जाएं । जहां साक्षात्कार लिया जाना हो, वहां भी प्रश्नों के उत्तर हिंदी में देने की छूट दी जाए ।

3.   सभी प्रकार की वैज्ञानिक/तकनीकी संगोष्ठियों तथा परिचर्चाओं आदि में वैज्ञानिकों आदि को राजभाषा हिंदी में शोध पत्र पढने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाए । उक्त शोध-पत्र संबद््ध मंत्रालय/विभाग/कार्यालय आदि के मुख्य विषय से संबंधित होने चाहिए ।

4.   ‘क’ तथा ‘JÉ’ क्षेत्रों में, सभी प्रकार का प्रशिक्षण, चाहे वह अल्पावधि का हो अथवा दीर्घावधि का, सामान्यत: हिंदी माध्यम से होना चाहिए। ‘MÉ’ क्षेत्र में प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षण सामग्री हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार कराई जाए और प्रशिक्षणार्थी की मांग के अनुसार हिंदी या अंग्रेजी में उपलब्ध कराई जाए ।

5.   केंद्र सरकार के कार्यालयों में जब तक हिंदी टंकक व हिंदी आशुलिपिक संबंधी निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लिए जाते,तब तक उनमें केवल हिंदी टंकक व हिंदी आशुलिपिक ही भर्ती किए जाएं । 

6.   अंतरराष्ट्रीय संधियों और करारों को अनिवार्य रूप से हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार कराया जाए । विदेशों में निष्पादित संधियों और करारों के प्रामाणिक अनुवाद तैयार कराके रिकार्ड के लिए फाइल में रखे जाएं ।

7.   राजभाषा नियम, 1976 के नियम 10(4) के अंतर्गत अधिसूचित बैंकों की शाखाओं में निम्नलिखित कार्य हिंदी में किए जाएं - ग्राहकों द््वारा हिंदी में भरे गए आवेदनों और ग्राहकों की सहमति से अंग्रेजी में भरे गए आवेदनों पर जारी किए जाने वाले मांग ड्रापऊट, भुगतान आदेश, क्रेडिट कार्ड,डेबिट कार्ड, सभी प्रकार की सूचियां, विवरणियां, सावधि जमा-रसीदें, चैक बुक संबंधी पत्र आदि, दैनिक बही, मस्टर,प्रेषण बही, पास बुक, लॉग बुक में प्रविष्टियां, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र, सुरक्षा ग्राहक सेवा संबंधी कार्य, नए खाते खोलना,लिफाफों पर पते लिखना, कर्मचारियों के यात्रा भत्ते,अवकाश, भविष्य निधि, आवास निर्माण अग्रिम, चिकित्सा संबंधी कार्य, बैठकों की कार्यसूची-कार्यवृत्त आदि ।

8.   विदेश स्थित भारतीय कार्यालयों सहित सभी मंत्रालयों/विभागों आदि की लेखन सामग्री, नाम पट्ट,सूचना-पट्ट, फार्म, प्रक्रिया संबंधी साहित्य, रबड़ की मोहरें, निमंत्रण पत्र आदि अनिवार्य रूप से हिंदी-अंग्रेजी में बनवाए जाएं ।

9.   भारत सरकार के मंत्रालयों, कार्यालयों, विभागों, बैंकों,उपक्रमों आदि द्वारा असांविधिक प्रक्रिया साहित्य जैसे नियम, कोड, मैनुअल, मानक फार्म आदि को अनुवाद कराने के लिए केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो को भेजा जाए ।

10.  अनुवाद कार्य तथा राजभाषा नीति के कार्यान्वयन से जुड़े सभी अधिकारियोंकर्मचारियों को केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो में अनिवार्य अनुवाद प्रशिक्षण हेतु नामित किया जाए । ऐसे अधिकारियोंकर्मचारियों को भी अनुवाद के प्रशिक्षण पर नामित किया जा सकता है, जिन्हें स्नातक स्तर पर हिंदी-अंग्रेजी दोनों भाषाओं का ज्ञान हो तथा जिनकी सेवाओं का उपयोग कार्यालय द््वारा इस कार्य के लिए किया जा सकता हो ।

11.  भारतीय प्रशासनिक सेवा और अन्य अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान हिंदी भाषा का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाता है, ताकि सरकारी कामकाज में वह इसका प्रयोग कर सकें । तथापि,अधिकांश अधिकारी सेवा में आने के पश्चात् सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग नहीं करते । इससे उनके अधीन कार्य कर रहे अधिकारियों/कर्मचारियों में सही संदेश नहीं जाता । परिणामस्वरूप, सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग अपेक्षित मात्रा में नहीं हो पाता । मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों/उपक्रमों आदि के वरिष्ठ अधिकारियों का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह अपने सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग करें । इससे उनके अधीन कार्य कर रहे अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रेरणा मिलेगी तथा राजभाषा नीति के अनुपालन को गति मिलेगी ।

12.  सभी मंत्रालय/विभाग आदि हिंदी के प्रयोग को बढावा देने के लिए चलाई गई विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं का अपने संबद््ध एवं अधीनस्थ कार्यालयों में भी व्यापक प्रचार-प्रसार करें ताकि अधिक से अधिक अधिकारी/कर्मचारी इन योजनाओं का लाभ उठा सकें और सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो ।

13.  तिमाही प्रगति रिपोर्ट संबंधी सूचना निर्धारित प्रोफार्मा में ई-मेल द्वारा प्रत्येक तिमाही की समाप्ति के अगले माह की 15तारीख तक राजभाषा विभाग को उपलब्ध करा दी जाए । हस्ताक्षरित प्रति अलग से भेजी जाए ।

14. सरकार की राजभाषा नीति के प्रति अधिकारियों/कर्मचारियों को सुग्राही बनाने की दृष्टि से यह आवश्यक है कि सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा को मात्र राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों तक ही सीमित न रखा जाए।  इस संबंध में मानीटरिंग को और अधिक प्रभावी और कारगर बनाने के लिए यह जरूरी है कि मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों के प्रशासनिक प्रधानों द््वारा ली जाने वाली प्रत्येक बैठक में इस पर नियमित रूप से विस्तृत चर्चा की जाए और इसे कार्यसूची की एक स्थायी मद के रूप में शामिल किया जाए।

15.  प्रशिक्षण  और कार्यशालाओं  सहित  राजभाषा  हिंदी  संबंधी कार्य कर रहे अधिकारियों/  कर्मचारियों को  कार्यालय में  बैठने के  लिए अच्छा व  समुचित स्थान भी उपलब्ध कराया जाए ताकि वे अपने दायित्वों का निर्वाह ठीक तरह से कर सकें ।

16.   राजभाषा विभाग द््वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मंत्रालय/विभाग/ कार्यालय आदि नियमित रूप से अपने कर्मचारियों को नामित करें और नामित कर्मचारियों को निदेश दें कि वे नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित रहें, पूरी तत्परता से प्रशिक्षण प्राप्त करें तथा परीक्षाओं में बैठें । प्रशिक्षण को बीच में छोड़ने या परीक्षाओं में न बैठने वाले मामलों को कड़ाई से निपटा जाए ।

17.   अनुवादकों को सहायक साहित्य, मानक शब्दकोश (अंग्रेजी-हिंदी व हिंदी-अंग्रेजी) तथा अन्य तकनीकी शब्दावलियां उपलब्ध कराई जाएं ताकि वे अनुवाद कार्य में इनका उपयोग करें ।

18.      सभी मंत्रालयविभागकार्यालय आदि हिंदी में प्रशिक्षण के लिए नामित अधिकारियोंकर्मचारियों के लाभ के लिए"लीला-हिंदी प्रबोध,प्रवीण व प्राज्ञ" आदि सॉपऊटवेयर के उपयोग के लिए कंप्यूटर की सुविधा उपलब्ध करवाएं ।

19.   सभी मंत्रालयविभागकार्यालय आदि अपने-अपने दायित्वों से संबधित विषयों पर हिंदी में मौलिक पुस्तक-लेखन को प्रोत्साहित करने तथा अपने विषयों से संबंधित शब्द भंडार को समृद््ध करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं ।

20.      सभी मंत्रालयविभागकार्यालय आदि अपने केंद्रीय सेवाओं के प्रशिक्षण संस्थानों में राजभाषा हिंदी में प्रशिक्षण की व्यवस्था उसी स्तर पर करें जिस स्तर पर लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में कराई जाती है और अपने विषयों से संबधित साहित्य का सृजन करवाएं जिससे प्रशिक्षण के बाद अधिकारी अपने कामकाज सुविधा पूर्वक राजभाषा हिंदी में कर सकें ।

21.  सभी मंत्रालयविभागकार्यालयसंस्थान आदि अपने कार्यालय में हिंदी में कार्य का माहौल तैयार करने के लिए हिंदी पत्रिकाओं का प्रकाशन कर रहे हैं । इन पत्रिकाओं में विशेषकर उक्त कार्यालय के सामान्य कार्यों तथा राजभाषा हिंदी से संबंधित आलेख प्रकाशित किये जाएं ।

22.  नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों की छमाही बैठकों में सदस्य कार्यालय के प्रशासनिक प्रमुख  अनिवार्य रूप से भाग लें ।

23.  सभी मंत्रालयविभाग अपने संबद््धअधीनस्थ कार्यालयों के बारे में वर्ष 2009-10 के वार्षिक कार्यक्रम से संबंधित समेकित अनुपालन रिपोर्ट राजभाषा विभाग को 31 मई, 2010 तक भिजवाना सुनिश्चित करें ।

अधिक जानकारी के लिए

दिल्‍ली बैंक नराकास की 47 वीं छमाही बैठक दिनांक





दिल्‍ली बैंक नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति दिल्‍ली बैंक नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति

भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के तत्‍वावधान में दिल्‍ली बैंक नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति का गठन किया गया है । समिति के संयोजन का दायित्‍व पंजाब नैशनल बैंक के पास है । समिति की उदघाटन बैठक दिनांक 28 सितम्‍बर, 1994 को आयोजित की गई जिसका उदघाटन भारत सरकार, गृह मंत्रालय में केंद्रीय उप गृह मंत्री, माननीय श्री राम लाल राही ने किया ।


अधिक जानकारी के लिए
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